The Train... beings death 31
कमल नारायण जी का अनुष्ठान सफलतापूर्वक पूरा हो गया था। अनुष्ठान की सफलता के फल के रूप में उन्हें गौतम की आत्मा से आयाम द्वार के दोबारा खुलने का कारण और उसे बंद करने का तरीका पता चल चुका था। साथ ही एक और बात भी पता चली थी.. वह यह कि आयाम द्वार को 1 हफ्ते के भीतर ही बंद किया जा सकता था और अगर उस मुहूर्त पर बंद नहीं किया गया तो अगले 50 साल के लिए आयाम द्वार का बंद होना लगभग असंभव हो जाएगा।
यह बात कमल नारायण जी के लिए काफी चिंता वाली थी। गौतम की आत्मा ने यह भी बताया था कि आयाम द्वार बंद करने में वही व्यक्ति कमल नारायण जी की मदद कर सकता था जो उस आयाम द्वार में जाकर सकुशल वापस लौटा हो। उस बारे में जानकारी केवल इंस्पेक्टर कदंब से ही मिल सकती थी। सारी बातें पता करने के बाद गौतम की आत्मा वापस लौट गई थी।
कमल नारायण जी भी इंस्पेक्टर कदंब और नीरज के साथ हॉस्पिटल लौट आए थे। कमल नारायण जी की हालत अभी भी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी इसीलिए इंस्पेक्टर कदंब ने अनुष्ठान के पूरा होते ही कमल नारायण जी को फिर से हॉस्पिटल में एडमिट करवा दिया था।
उनके हॉस्पिटल पहुंचते ही डॉक्टर तुरंत ही कमल नारायण जी का चैकअप करने के लिए आ गया था। जब उन्होंने कमल नारायण जी का चेकअप किया तब इंस्पेक्टर कदंब और नीरज थोड़े से चिंतित से दिखाई पड़ रहे थे। कारण यह था कि कमल नारायण जी की हालत अभी भी अच्छी नहीं थी और उन्हें काफी लंबे समय तक अनुष्ठान के लिए एक जगह पर बैठना पड़ा था.. वह भी काफी धूल और धुएँ के बीच।
एग्जामिन करने के बाद डॉक्टर ने कमल नारायण जी को हिदायत देते हुए कहा, "कमल नारायण जी..! अभी के हालातों को देखते हुए हमने आपको जाने की परमिशन दे दी थी। अब आप आपका काम कर चुके हैं इसीलिए हमारी बात मानते हुए अब आप सिर्फ आराम करेंगे।"
डॉक्टर की बात खत्म होते ही कमल नारायण जी ने कहा, "डॉक्टर साहब..! केवल एक हफ्ते की बात है। उसके बाद आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करूंगा। आपको शहर के हालात पता ही है। उस मनहूस ट्रेन को अगर एक हफ्ते में आने जाने से ना रोका गया तो फिर अगले 50 सालों तक उसे नहीं रोका जा सकेगा। यह भी निश्चित है कि 50 सालों के बाद उसे रोकने के लिए कोई भी जीवित नहीं बचेगा।"
यह बात सुनकर नीरज बहुत ज्यादा घबरा गया था। उसने घबराहट में इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखा तो इंस्पेक्टर कदंब ने हां में अपनी गर्दन हिला दी। नीरज हैरान-परेशान सा कमल नारायण जी को देख रहा था। डॉक्टर के पास भी इस समय कहने के लिए कुछ नहीं था.. इसीलिए कमल नारायण जी के बेड के पास रखे प्रिसक्रिप्शन पर दवाइयां लिखकर तेजी से बाहर चला गया।
डॉक्टर के बाहर जाते ही कमल नारायण जी के चेहरे के एक्सप्रेशन बिल्कुल बदल गए थे। उन्होंने परेशान होकर इंस्पेक्टर कदंब से कहा, "आपने हमारी बातें तो सुनी ही थी।"
इंस्पेक्टर कदंब ने हां में अपनी गर्दन हिलाई तो कमल नारायण जी ने आगे कहा, "अब आपको अपनी सारी पुलिस उस व्यक्ति को ढूंढने में लगा देनी है.. जो व्यक्ति आयाम द्वार के उस तरफ जाकर सकुशल लौट कर आया है। गौतम के कहे अनुसार वही इस सब में हमारी मदद कर सकता है।"
कमल नारायण जी के बात खत्म होते ही इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "आप चिंता मत कीजिए। हम जानते हैं की वह कौन है?"
यह सुनते ही का कदंब जानता था कि आयाम द्वार के उस तरफ जाकर वापस लौटने वाला व्यक्ति कौन था.. कमल नारायण जी चौंक गए थे। उन्होंने जल्दबाजी से पूछा, "कौन है वह? आप उसे कैसे जानते हैं?"
इंस्पेक्टर कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "चिंकी..! चिंकी नाम है उसका। वही उस ट्रेन से गलती से चली गई थी।"
"चिंकी को जल्द से जल्द आप यहां ले आइए। हमें उससे कुछ जरूरी बातें करनी है।" कमल नारायण जी की बात सुनते ही इंस्पेक्टर कदंब ने थोड़ा परेशान होकर कहा, "उसे तो मैं नहीं ला पाऊंगा।"
कमल नारायण जी ने नासमझी से इंस्पेक्टर की तरफ देखते हुए पूछा, "क्यों..?"
"कल ही चिंकी के माता पिता पुलिस स्टेशन आए थे दोनों बहुत ही ज्यादा टेंशन में थे। चिंकी का परसों रात से कुछ पता नहीं चल रहा है।" नीरज ने कहा।
यह सुनकर कमल नारायण भी थोड़ा परेशान हो गए थे। कमल नारायण ने कहा, "तो फिर आपको जल्द से जल्द चिंकी को ढूंढना होगा। वही हमारी आखिरी उम्मीद है।"
"लेकिन उसे ढूंढने के बाद भी कोई फायदा नहीं। वह हमारी मदद नहीं कर पाएगी।" नीरज ने बीच में ही टोकते हुए कहा।
नीरज की बात सुनकर कमल नारायण जी थोड़ा क्रोधित नजर आ रहे थे। उन्होंने गुस्से से नीरज को डांटते हुए कहा, "कभी तो अच्छी बात कहा करो! अगर चिंकी हमारी मदद नहीं कर पाएगी तो यह काम भी नहीं हो पाएगा.. ये भी अच्छे से समझ लो। अगर हम उसे सारी स्थिति बताएंगे तो वह हमारी बात जरूर मानेंगी।"
तभी नीरज ने कहा, "आप समझ नहीं रहे हैं। अगर हमें चिंकी से कोई काम करवाना है.. तो पहले हमें उसके माता पिता को इस बात के लिए मनाना होगा।"
कमल नारायण जी को नीरज की गोल-गोल बातें समझ में नहीं आ रही थी। उन्होंने चिढ़ते हुए कहा, "अरे.. अगर चिंकी से हमें मदद चाहिए तो उसके माता-पिता को नहीं चिंकी को ही मनाना होगा।"
कमल नारायण जी की बात को काटते हुए नीरज ने कहा, "आप समझ नहीं रहे हैं!! हमें पहले चिंकी के माता-पिता से ही बात करनी होगी।"
नीरज की बात सुनकर कमल नारायण जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचने वाला था कि तभी इंस्पेक्टर कदंब ने बीच में रोकते हुए कहा, "कमल नारायण जी..! नीरज बिल्कुल ठीक कह रहा है। चिंकी 8 साल की बच्ची है। अगर उससे किसी तरह की मदद चाहिए तो उसके माता-पिता को ही कंवेंस करना होगा।"
चिंकी की उम्र के बारे में जानते ही कमल नारायण जी बहुत ज्यादा परेशान होकर उन्होंने अपना सर पकड़ लिया और बोले, "हे भगवान..! अब क्या होगा? चिंकी तो इस काम में हमारी कोई मदद नहीं कर पाएगी।"
इंस्पेक्टर कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप चिंता मत कीजिए। चिंकी अपनी उम्र से काफी समझदार बच्ची है। आप तो केवल कुछ मिनटों के लिए ही आयाम द्वार के उस तरफ गए थे पर चिंकी ने तो अकेले उस ट्रेन में 24 घंटे बिताए थे। वह भी बहुत सारी आत्माओं और उन्हीं विचित्र जीवों के बीच जिनकी वजह से आपके आचार्य भी परेशान दिखाई दे रहे थे।"
इंस्पेक्टर की बात पर कमल नारायण जी को विश्वास नहीं हो रहा था। उन्होंने अविश्वास से कहा, "ऐसा हो ही नहीं सकता। इतनी छोटी बच्ची आयाम द्वार के उस तरफ जाकर सकुशल लौट कर आई और वह भी पूरे 1 दिन बाद। ऐसा कैसे हो सकता है..?"
इंस्पेक्टर कदंब ने मुस्कुराते हुए कहा, "ऐसा हो नहीं सकता.. ऐसा हुआ है! वह बच्ची हमें खुद वापस आते टाइम मिली थी। उसी ने हमें पूरी कहानी बताई थी। इससे पहले तो मैं भी आयाम द्वार.. विचित्र जीव और तंत्र मंत्र के बारे में ना तो ज्यादा जानता था और ना ही उन पर मेरा विश्वास था।"
इतना कहकर इंस्पेक्टर कदंब ने चिंकी के ट्रेन में चढ़ने से लेकर चिंकी के वापस आने तक की पूरी कहानी जैसे चिंकी ने उन्हें सुनाई थी वैसी की वैसी उन्होंने कमल नारायण जी को सुना दी। उस कहानी को सुनकर कमल नारायण जी भी बहुत ज्यादा अचंभित दिखाई दे रहे थे। कमल नारायण जी ने आश्चर्य कहा, "तो फिर ठीक है..! हम इस काम के लिए उनके माता-पिता को मनाने का प्रयास करेंगे। लेकिन सबसे पहले तो हमें चिंकी को ढूंढना होगा। जब तक चिंकी हमें वापस नहीं मिलती तब तक हम भी आयाम द्वार को बंद करने की कोशिश नहीं कर सकते।"
इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "ठीक है.. मैं पता लगाने की कोशिश करता हूं कि आखिर चिंकी गई कहां? आप जब तक आराम कीजिए। हम पता करके आते हैं।"
इतना कहकर इंस्पेक्टर कदंब और नीरज हॉस्पिटल से निकल गए और सीधे अरविंद के घर पहुंचे।
अरविंद इस समय हॉस्पिटल में थे.. किसी इमरजेंसी केस की वजह से। घर पर अनन्या अकेली थी और चिंकी के कारण काफी परेशान थी। उसकी आंखों को देखकर लग रहा था कि वह काफी रोई होंगी। इंस्पेक्टर के वहां पहुंचते ही अनन्या की आंखों में एक आशा की किरण दिखाई देने लगी।
अनन्या ने जल्दबाजी से पूछा, "इंस्पेक्टर..! चिंकी मिल गई क्या..?"
इंस्पेक्टर कदंब ने ना में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, "नहीं अनन्या जी.! फिलहाल तो चिंकी नहीं मिली। लेकिन जितना जल्दी हो सके हम उसे ढूंढ लेंगे। हमें बस चिंकी का रूम देखना है। हो सकता है वहां से कुछ ऐसी चीज मिल जाए जिससे चिंकी को ढूंढना आसान हो जाए।"
कदंब की बात सुनकर अनन्या उन्हें चिंकी के रूम में ले गई। चिंकी का रूम वैसा ही था.. जैसा किसी नॉर्मल बच्चे का होता है। ब्राइट कलर की दीवारें, बहुत सारे खिलौने, बुक्स, स्टडी टेबल, अलमारी हर चीज देखकर ऐसा लग रहा था कि अरविंद और अनन्या ने अपनी बेटी के लिए चुन चुन कर चीजें इकट्ठे की थी।
इंस्पेक्टर कदंब ने पूछा, "अनन्या जी..! अगर आपको बहुत ज्यादा प्रॉब्लम ना हो तो हम यहां कुछ देर अकेले रह सकते हैं।"
अनन्या ने हां में अपनी गर्दन हिलाई और कमरे के बाहर चली गई। अनन्या के कमरे से बाहर जाते ही कदंब ने नीरज से कहा, "नीरज यहां पर हर एक चीज को ढूंढना शुरू कर दो। हर एक छोटी से छोटी चीज भी तुम्हारी जानकारी में होनी चाहिए।"
नीरज ने हां में अपनी गर्दन हिलाई और पूरे रूम में कुछ ढूंढने लगा। कुछ ऐसा जो चिंकी तक पहुंचने में उनकी मदद कर सके। वह क्या था? इसके बारे में तो ना तो इंस्पेक्टर कदंब को पता था और ना ही नीरज को। बस वो कुछ ढूंढे जा रहे थे। इंस्पेक्टर कदंब चलते हुए चिंकी की स्टडी टेबल के पास गए। वहां पर बहुत सारे पेन, पेंसिल, सुंदर सुंदर रबड़ जो कुछ कार्टून कैरेक्टर्स, फ्रूट्स, वेजिटेबल्स के साइज में थे। स्टडी टेबल की एक साइड बहुत सारी स्टोरी बुक्स रखी थी। कुछ कोर्स की किताबें थी, कुछ कॉमिक्स.. पर उनके बीच एक बड़ी सी स्केचबुक रखी थी.. जो कुछ अलग सी दिखाई दे रही थी। उसके इसी अलग होने के कारण इंस्पेक्टर कदंब की नजर उस बुक पर गई।
इंस्पेक्टर कदंब क्यूरियोसिटी की वजह से उस स्केचबुक के पन्ने पलटने लगे। कुछ पन्नों पर तो नेचर की ड्राइंग्स बनी हुई थी। उन ड्राइंग्स को देखकर लगता था कि चिंकी काफी अच्छी ड्राइंग बना लेती थी। शुरू के कुछ पन्नों को देखकर इंस्पेक्टर कदंब चिंकी की ड्राइंग से इतने ज्यादा इंप्रेस हो गए थे कि जिस काम के लिए आए थे उसे करना भूल कर उस छोटी सी बच्ची चिंकी की स्केच बुक देखने में बिजी हो गए थे।
चार पांच पन्ने पलटने के बाद एक पन्ने पर इंस्पेक्टर की नजरें और हाथ दोनों ही रुक गए। उन्होंने नीरज को आवाज देते हुए कहा, "नीरज यहां आओ..!"
ऐसे अचानक बुलाने की वजह से नीरज थोड़ा घबरा गया था और वह तेजी से भागता हुआ इंस्पेक्टर कदंब के पास आया और बोला, "क्या हुआ सर..? सब कुछ ठीक है ना?.
नीरज के सवाल पूछते ही कदंब ने स्केचबुक की तरफ इशारा किया। उस पन्ने पर बनी ड्राइंग को देखते ही नीरज भी काफी हैरान रह गया था।
पहले पन्ने पर एक रेलवे स्टेशन की ड्राइंग बनी हुई थी.. जिस पर एक ट्रेन खड़ी थी और एक छोटी बच्ची उस ट्रेन की तरफ आगे बढ़ रही थी। एक दूसरी छोटी बच्ची ट्रेन के गेट पर लटकी हुई रेलवे स्टेशन पर खड़ी बच्ची को बुला रही थी। यह देखते ही कि शायद यह उसी ट्रेन का स्केच था.. जिसमें चिंकी भवानीपुर स्टेशन से गलती से चढ़ गई थी।
इस पेंटिंग को देखते हुए नीरज ने कहा, "सर.! क्या यह वही है.. जो मैं सोच रहा हूं?"
कदंब ने हां में अपनी गर्दन हिलाते हुए कहा, "हां..! मुझे भी ऐसा ही लगता है। यह शायद उसी दिन की तस्वीर चिंकी ने बनाई है.. जिस दिन चिंकी ट्रेन में चढ़ी थी।"
तो नीरज ने कहा, "बस यही है या और भी हैं??"
"मैंने फिलहाल यही देखी है। आगे के स्केचेस देखने के लिए पन्ना पलटना होगा।" इंस्पेक्टर कदंब ने पन्ना पलटने की बात कहने के लिए तो कह दी थी लेकिन उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि स्केच बुक का पन्ना पलट दें। जल्दी ही कदंब ने डिसाइड कर लिया कि पन्ना पलटना ही होगा। जैसे ही पन्ना पलटा.. वैसे ही स्केचबुक इंस्पेक्टर कदंब के हाथ से लगभग गिरते-गिरते बची।
उस पन्ने पर बने स्केच को देखते ही इंस्पेक्टर कदंब की आंखें डर, आश्चर्य और टेंशन से फैल गई थी।
क्रमशः...
Punam verma
28-Mar-2022 10:22 AM
बहुत खूब
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Archita vndna
24-Mar-2022 02:04 AM
बहुत खूब
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